सूखी पड़ी है दिल की ये ज़मीन,
जाने कहां गुम हो गई है नमी,
बंजर इस ज़मीन पे उम्मीद है तेरी बारिशें,
भीग जाएं फ़िर से प्यार की हो साजिशें।

-Dinkal

Hindi Shayri by Dinkal : 111587866

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