#विमान

एक समय था जब हमारा भी विमान हुआ करता था
वों जगह भी हमारी थी वो जागीर भी हमारी थी
दूसरा देश नही पर दूसरे के घर
जरूर पहुँच जाया करता था
कभी कभी उस नीम के पेड पर
अटक जाया करता था
कभी-कभी वापस
मेरे पास ही आ जाया करता था
कागज का था
पर खेल बड़े - बड़े खेला करता था
अब वो ना विमान रहा ना वों जमानें
अब भी यदा - कदा वो विमान दिख जाया करता है
तो जी लेता हूँ फिर उस जमानें को ।

Hindi Poem by Vaishnav : 111587774

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