दो इलेक्ट्रॉनों को
आपस में टकराते हुए
देखा है कभी!

देखा है कभी!
उड़ते हुए पक्षी को
गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से
ज़मी पर गिरते हुए।

देखा है तुमने, उसे हंसते हुए
मुस्कुराते हुए!
अनायास ही स्वप्न में तीतर पकड़ते हुए।

क्या देखा है? तुमने अंधी कानून की देवी
के हाथों में तराजू

और देखा है! तुमने उसमें छेद करते हुए नेताओं को
और कभी देखा है कानून को
तराजू की मानिंद
लुढ़कते हुए।

बेशक, ना देखा हो।
क्योंकि तुम अंधे हो!
पर उन बच्चियों ने देखा है
एक स्वप्न जो उनकी मुट्ठीयो में कैद है।

Hindi Poem by Rajesh Mewade : 111583773

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