स्वरोजगार



मैने प्रतिदिन प्रातः उसे समाचार पत्र बेचते देखा है। वह अभावों का जीवन जीता था, पर स्वाभिमानी था। रात में शिक्षा प्राप्त करने के लिए मेरे निवास पर आता था और अध्ययन करता था। एक दिन वह अपनी कडी मेहनत से पढाई में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ और मुझसे इनाम में एक साइकिल प्राप्त की। अब वह पूरे चाल के कपडे प्रतिदिन साइकिल पर ले जाता था और धोबी से धुलवाकर शाम को उसे वापिस पहुँचाकर धन कमाता था। दो वर्षों के बाद इस जमा पूंजी से उसने वाशिंग मशीन खरीद ली और स्वयं कपडे धोने का काम करने लगा। आज वह एक ड्रायक्लीनिंग की दुकान का मालिक है। इसके साथ साथ उसने एक नया काम भी चालू किया, वह प्रतिदिन आवश्यकतानुसार चाल के घरों का दैनिक जरूरतों का सामान लाकर पहुँचाने लगा। उसका यह व्यापार भी चल निकला।

आज वह कार में आता जाता है। उसने एक मकान भी खरीद लिया एवं उसका नाम स्वरोजगार रखा। आज भी वह ईमानदार एवं स्वाभिमानी है, अभिमान और घमंड से बहुत दूर है। वह कई ड्रायक्लीनिंग मशीनों का मालिक है पर दीपावली के दिन आशीर्वाद लेने अपने सभी पुराने ग्राहकों के पास जाता है। उसका जीवन प्रेरणास्त्रोत है एवं स्वरोजगार के माध्यम से अपने को अमीर बनाने का एक जीता जागता उदाहरण है।

देश में जनसंख्या की असीमित वृद्धि हो रही है। रोजगार के साधनों की अनुपलब्धता के कारण देश में बेरोजगारी बढ रही है। अब सरकार के पास भी इतने रोजगार और नौकरी उपलब्ध नही है जिससे तेजी से फैल रही बेरोजगारी को रोका जा सके। आज की परिस्थितियों में स्वरोजगार ही बेरोजगारी केा दूर करने का सशक्त माध्यम बन सकता है। यह इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

Hindi Story by Rajesh Maheshwari : 111583028

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