उड़ते हुए परिंदे को
जब नोच लेता है, परिंदा

इंसानों की हैवानियत देख
कांप रहा है दरिंदा

व्यवस्था गई कूड़ेदान में
कानून है क्या जिंदा?

जंगलराज की मांग करती
बेटियां है शर्मिंदा

#बेटियाँ

Hindi Poem by Rajesh Mewade : 111581408

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