वो हमें कहते हैं कि हम मुकर गए वैसे अब नही
बिल्कुल बदल गए
पर शायद खुद भूल गए
बदले हम नही वो बदल गए
बस देखा न खुद को कभी
इसलिए मालूम न चला
सुबह की शुरुआत थी जो हमसे अब नही
रात का सच्चा अंत था जो हमसे अब नही
जो उठते अपनी मर्जी से थे और सोते हमारी
नींद न आती बिन आवाज़ सुने जो पहले
वो आवाज़ जो पहले थी अब नही ( ठीक है ..)

Hindi Shayri by ALOK SHARMA : 111581289

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