#अस्पष्टता
दर्द का बेहतरीन हिसाब वो रखते है,
ख़ूबसूरत नाराज़ चेहरा वो रखते है।
बताइए हमेंभी तौर तरीके इश्क़ के,
इक मासूम सा हम भी दिल रखते हैं।।
करते नहीं वो खुलके इज़हार ए ख़यालात,
यहाँ हम है जो कान,हमेशा सिरहाने रखते है।
आबरू व इश्क़में मुक्कमल कुछ नहीं ‘निर्दोश’
लोग हमसे “अस्पष्ट” सा व्यवहार क्यों रखते है।।