नयी रचना-
ना बता सके
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माहौल परेशानी का
मामला संगीन था
कहे तुमसे कब
बताए भी कब
चला गया है वो
अब इतनी दूर के
नही लौटे गा अब
यह तो अच्छा है
कुछ बचा नही था
बीच अब तुम्हारे
रास्ते अलग सारे
ना कुछ कह सके
ना कुछ बता सके
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