मेहनत से उठी हूँ मेहनत का दर्द जानती हूँ
मेहनत से उठी हूँ, मेहनत का दर्द जानती हूँ,
आसमाँ से ज्यादा जमीं की कद्र जानती हूँ ।
छोटे से बडा बनना आसाँ नहीं होता,
जिन्दगी में कितना जरुरी है सब्र जानती हूँ।
मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली,
छालों में छिपी लकीरों का असर जान ती हूँ।
बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा देती हूँ,
आधे दुश्मनो को तो यूँ ही हरा देती हूँ!!
काफी कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना,
क्योंकि एक दिन राख में मिलना है ये जानती हूँ
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