लगी है धुन मनमें मेरे
कब मिलेंगे बिछड़े सजन मेरे
देखती रहेती हर पल
अब शाम-सबेरे
आएँगे साजन कब
घर को मेरे
तरसते है ये नैना
दीदार को तेरे
भले तुम देर लगाओ
पर ज़रूर आना दर पे मेरे
गुज़र जाए न ये जीवन
सिर्फ़ इंतजार में तेरे
कम से कम मुखड़ा दिखाना
तुम मैयत पे मेरे।।

-Hiren Bhatt (©એમજદિલથી)
#એમજદિલથી

Hindi Poem by Hiren Bhatt : 111578264

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