बहुत ही स्वादिष्ट हैं। इन्हें चखकर लगा जैसे अमृत चख लिया हो।

बस-बस, मुझे चने की झाड़ पर चढ़ाने की ज़रूरत नहीं है। इतना सुनकर मैं खिलखिला कर हंस पड़ी। अचानक दिमाग़ ने याद दिलाया कि अभी हंसना भूली नहीं हूँ और मैं हंसते - हंसते चुप हो गई।

ममता जी और अनाहिता की अधूरी जिन्दगियां बस अभी-अभी तो पूरी हुई थीं। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पूरा देश हिल गया....
जानने के लिए पढे़ं "नया जन्म - 5"

https://priyan-sri.blogspot.com/2020/09/5.html?m=1

आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में 🙏

#स्वादिष्ट

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