ये रास्ता .......चाहता हैं।


चलो आज फिर उन्ही यादो को छुले क्युकी,

आज फिर उन्ही रास्तो पर चलनेको जी चाहता हैं|


कुछ तुम बोलना और हम सुनेगे,कभी कभी 

इस रास्तेकी खामोशिको भी पढ़ लिया करना क्युकी,

ये हमारी बहोतसी यादे महसूस कराएगा |

हमारी वो प्यारी मस्तीसे भरी हुई नोकजोक ने,

एक बार पुराने दरवाजे पर दस्तक दी हैं |

मुझे ये सिलसिला युही जारी रखना हे क्युकी,


ये रास्ता मुझसे यादे बयान करने की इजाजत चाहता हैं |

माना की हम साथ नहीं हे,हाथ एक दूसरेके हाथ में नहीं

तो क्या हुआ ये रास्ता ही काफी हे ,

अच्छे लम्होको,फिरसे जीने केलिए क्युकी ,

ये रास्ता उसे फिर दोहराना चाहता हैं|

आज उन्ही रास्तो परएक बार फिर चलना हैं मुझे,

और जानना हैं खुदको क्युकी ,

इस रास्तेने फिरसे पहचान कराई हे मुझसे

क्युकी इस रस्तेने, फिरसे पहचान कराई हैं मुझसे ।


- हेतु

-Hetal

Hindi Poem by Hetal : 111577696

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now