चलो चले कहीं,
पहचान बदल कर...
किसी अंजान शहर में..
किसी अंजान राहों में..
घण्टों घूमते रहे अंजान गलियों में...
जहां हम हो तुम हो
औऱ इश्क़ हो,
हर वक़्त तुम्हे सोचूँ ,
तुम्हारे लिए ही जियूँ,
बस जाऊं तुममे कही,
जहां सिर्फ हम हो..
और हममें हमारा सारा जहाँ हो..
चलो चले इस शहर से दूर कहीं..
किसी अनजान सफर में..
#तुम्हारा

Hindi Poem by Sarita Sharma : 111577303

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