कृष्ण कलम मंच- आयोजित राष्ट्रीय साप्ताहिक प्रतियोगीता मे-सर्वश्रेष्ठ" सम्मानप्राप्त रचना-
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- कहानी
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दिल की यह कहानी
सुनो दोस्त मेरी जबानी

इस दूनियादारी ने
इस कदर सताया
सहे तो सहे कब तक
दिल बेचरा थक गया

पराया तो फिर भी
होता ही है पराया
मुझे अपनोने ही
है हमेशा रुलाया

पैसा नही था पास मेरे
हाल था मेरा खस्ता
न था किसी को तब
कभी मेरे से वास्ता

तकदिर बिगडी समझो
कोई अपना नही होता
गैर गुजरे होकर अंधेरे मे
जिंदगी गुजारना पडता

खाली पेट ,मन खाली
आँखो मे है नमी, ना पानी
मन को लगे हलका
सूनाकर तुमको कहानी
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Hindi Poem by Arun V Deshpande : 111576487
Arun V Deshpande 4 years ago

धन्यवाद💐

Arun V Deshpande 4 years ago

धन्यवाद💐

Arun V Deshpande 4 years ago

धन्यवाद💐

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

उत्कृष्ट प्रस्तुति

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