एक लहर आये टकराये मिट जाये
दिखता है इसमें जीवन का सार मुझे
क्यों मैंने नदिया बनकर खुद को खोया
रास न आया सागर का विस्तार मुझे

अंजलि सिफ़र

Hindi Shayri by Anjali Cipher : 111576072

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