मेरा गांव
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देखो यह है मेरा प्यारा गांव
हर तरफ है धुप और छांव
हर तरफ छाई है हरियाली
सीम पर छोटा है तालाब
सब दोस्त मिलकर चलाते थे
इसमें अपनी अपनी नाव
किनारे पर एक मंदिर है
गांव वालों का है बड़ा लगाव
बचपन में हम खेलतें रहते थे
न टिकता था घर में हमारा पांव
खेत खलियानों में घुमते रहते
कुएं में नहाते थे हम सरेआम
चोराहे पर बड़ा सा एक पेड़ है
जहां बुजुर्गों का रहता है पडाव
सारे गांव की खबर रखते थे वो
करते हंसी मजाक का बहाव
ऐसा था भोला-भाला मेरा गांव
शहर के रंग में रंग गया
अब गांव पुरा बदल गया
में जब भी वहां जाता हुं
वो पुराना गांव बहोत याद आता है

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111575787

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