कभि वक़्त बदलता हे तो कभि लोग बदल जाते हे..
कही बाते तो कही बात करने का सलिका बदल जाता हे
चलते चलते सफ़र मे लोग क्या कुछ सिखा जाते हे
पहॆले हमे सम्भालते और फ़िर खुद गिराकर चले जाते हे..

Bhumi polara

Hindi Shayri by Bhumi Polara : 111575491

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