सोच समझ कर ही तो हर कदम उठाया था,
फिर ये हम किन राहों में आ के भटक गए...

ना ही लौट पाएँगे ना ही आगे जा सकेंगे,
ये हम कैसी तन्हाई की सूली पर लटक गए...

- परमार रोहिणी " राही "

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111575344

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