मै स्त्री हूं ना,
सामाजिक बन्धन में बंधी बेबस सी
हां यकीनन अकेली हूं पर
जीना कैसे छोड़ सकती हूं
समाज की मानसिकता अगर मै बदल सकती
अन्धकार में प्रकाश सी
मेरा नसीब का दोष अगर मूझपर ना मढ़ा होता
मेरी मेहंदी, मेरी बिंदी, मेरी लाली, मेरी चूड़ी
न होती आज मेरी सौतन सी
अगर निष्ठुर समाज मुझे अपना परिवार का हिस्सा बना लिया होता
तो ना होती किसी की खातिर मै #विधवा ।।
#विधवा
#Arjuna Bunty

Hindi Motivational by Arjuna Bunty : 111574057
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

यथार्थ विवरण

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now