हम तो शिकार करने आए थे बातों का खंज़र ले के,
फिर ऐसे कैसे हम तुम्हरी नजरो से घायल हो गए...

महफ़िल तुम्हारी थी अल्फ़ाज भी तुम्हारे थे, फिर
जहा हमारा कुछ नही कैसे हम इसके क़ायल हो गए...

- परमार रोहिणी " राही "

#शिकार

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111572980

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