नज़र को नज़र से मिला कर चले थे
हम को हम से ही चुरा कर चले थे
शिकारी बनकर आये थे महफ़िल में
शिकार वो खुद ही बन कर चले थे
#शिकार

Hindi Shayri by Sushma Gupta : 111572969

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