कितनी आसानी से भुला देता है यहां कोई भी किसी को!
ज़रा ये भूलने की दवा हमें भी मुहैया करा दो।
बड़ी मुद्दत से गड़ा है ये यादों का खंजर मेरे सीने में,
मेरे मालिक अब मुझे भी मेरे हिस्से का सुकून अदा करो!

-NISHA SHARMA ‘YATHARTH’

Hindi Shayri by निशा शर्मा : 111572635

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