जब आपकी सुबह घड़ी की अलार्म से नहीं बल्कि पंछियों के मधुर संगीत से होती हो
जब आपकी आंखे सोशल मीडिया के संदेशों से नहीं बल्कि सुरज की पहली किरण से होती हो और आपका दिन मोबाइल पर अंगुलियों के घर्षण से नहीं बल्कि दीन दुखियों के सेवामे गुजरता हो और आपकी शाम किसी फाइव स्टार के होटल की मशीन वाले कॉफी से नहीं बल्कि चूल्हे की अदरक वाली चाय से होती हो ओर जिसकी रात ए.सी. लगे आलीशान कमरे के अंदर नहीं बल्कि चांद की चांदनी से रोशन तारो कि चादर ओढ़कर होती हो तो यकीं मानिए आपने ज़िन्दगी और प्रकृति दोनो की खूबसूरती को जिया है ..... रितु की कलम से ✍️