यूं थक के अकेला जब मैं बैठता हूं,
ना जाने क्या क्या मैं सोचता हूं।
ये अंधेरा भी मुझसे बहुत कुछ कह जाता है,
जिंदगी का वो पल बस थम सा जाता है।
यूं थक के अकेला जब मैं बैठता हूं,
अपने ही अंदर क्यूं अपने आप को खोजता हूं।

- चंचल सिंह

Hindi Whatsapp-Status by ..... : 111569999

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now