हम तो यहाँ सब को एकसमान देख के आये थे,
पर यहाँ सब अंदर से खोखलापन लिए बैठे है...

अपने मतलब के लिए हमें वो बर्बाद करने चले,
अजीब बात है, लोग हमें क्या नादाँ समझे बैठे है...?

- परमार रोहिणी " राही "

#एकसमान

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111568924

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