हम तो नादान थे जो तुम्हारे इशारे तक ना समझ पाए
कुछ तो तुम्हारी भी गलती है, जो इशारे भी ना कर पाए।

ये टूटे हुए जज्बात में दिल के अरमान ना समझ पाए,
इश्क़ की महफ़िल में खुद जल कर दूसरों शहारा दे पाए।।

- परमार रोहिणी " राही "

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111568919

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now