हाँ मैं आदमी अंदर से भिखारी हूँ
मेरे कटोरे में थोड़ी सी मोहब्बत डालते जाइयेगा

क्योंकि सलामत हाथों से काम करने पर भी
दुनिया से तनख्वाह में मोहब्बत नही मिलती....

©yhnaam

Hindi Shayri by Dhruvin Mavani : 111568748

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now