बेख़बर है हम कई लोगों की साज़िशों से,
खैर जानकर अंजान रहना फ़ितरत है हमारी...

कोई शिक़वा कोई शिक़ायत नही करनी हमे,
मतलबी दुनियाँ से अच्छी ख़ामोश नफ़रत है हमारी...

- परमार रोहिणी " राही "

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111568212

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now