दिल कर बैठा विश्वास पलक झपकने के अंतराल में ही
मर्ग भी आए गर तो कबुल, है खुल्द उनकी आगोश मे 
खार चाहे कितने भी आए, बनके रहेंगी हमारी इश्के हिकायत
खुदा का खौफ भी बर्दाश्त, गर हाकिम वो हमारे दिल के है ।
#rambin
#विश्वास

Hindi Shayri by Rambin : 111567683

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