हाथ लगता नहीं है बड़ा कुछ अगर
ये ना समझो कि मेरा नहीं कुछ रहा
खेल किस्मत का है फिर भी खेलो इसे
चाल किसकी पड़े ये किसको पता
जीत जाओगे तुम भी ये तुम ठान लो
हार समझो ना अपनी कहानी में है
हो गए जो कभी मन से घायल सुनो
याद करना युधिष्ठिर की बानी में है
क्या नहीं दुःख सहे क्या नहीं वो सुने
फिर भी आंखों में लाए न पानी कभी
एक दिन वो विजय रथ को हासिल किए
हार अपनी उन्होंने न मानी कभी
मुश्किलों का दौर मुश्किलों की घड़ी
कब तक टिकेगी हमारे लिए
इतिहास यूं ही नहीं गवाही देता
संघर्ष का उदाहरण है हमारे लिए
।। ज्योति प्रकाश राय ।।