छोड़ कर जाने वाले पलट कर देख लें अगर तो जा नहीं सकेंगे, शायद इसलिए भी वो पलटकर नहीं देखते।
देख लेते तो जान जाते, अपने कदमों के नीचे जिसे कुचलते हुए जा रहे हैं, वो महज़ कोई ज़मीन या मिट्टी नहीं, अरमान और ख्वाहिशें हैं, जिसे धीरे-धीरे कुचल कर वो दिल के टुकड़े कर रहे हैं।
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