ऋषिकेश हिमालय की पर्वत श्रृंखला में मणिकूट पर्वत की तलहटी में गंगा तट पर बसा एक प्राचीन नगर है. ऋषिकेश उच्चारण दोष के चलते हृषीकेश का परिवर्तित रूप है. हृषीकेश का अर्थ है हृषीक (इंद्रिय) को जीतकर रैभ्य मुनि ने ईश (इंद्रियों के अधिपति विष्णु) का प्राप्त किया. इसलिए (हृषीक+ईश अ+ई= गुण) हृषीकेश. हृषीकेश अत्यन्त प्राचीन तीर्थ स्थल है. भूमि एवं जल के अलौकिक प्रभाव, ऋषियों के तपस्या व देव प्रभाव के कारण ही तीर्थत्व का प्रतिपादन होता है. हृषीकेश में उक्त सभी तत्व सन्निहित हैं. नगर के मध्य भाग में स्थित श्री हृषीकेश नारायण (श्री भरत मंदिर) का इतिहास ही ऋषिकेश का इतिहास है.
कृते वाराहरुपेण त्रेतायां कृतवीर्यजम्।
द्वापरे वामनं देवं कलौ भरतमेव च।
-स्कंद पुराण 116/42
यहां रैभ्य ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनको दर्शन दिए और उनके आग्रह पर अपनी माया के दर्शन कराए. रैभ्य ऋषि को वरदान दिया कि आपने अपनी इंद्रियों (हृषीक) को वश में करके मेरी आराधना की है, इसलिए यह स्थान हृषीकेश कहलाएगा और मैं कलयुग में भरत नाम से यहां पर विराजूंगा. हृषीकेश के मायाकुंड में पवित्र स्नान के बाद जो प्राणी मेरे दर्शन करेगा, उसे माया से मुक्ति मिल जाएगी. ये ही हृषीकेश भगवान श्री भरत जी महाराज है.
विक्रमी संवत 846 (ई. सन 789) के लगभग आद्य शंकराचार्य ने बसंत पंचमी के दिन हृषीकेश नारायण श्री भरत भगवान की मूर्ति को मंदिर में पुनः प्रतिष्ठित करवाया था. तभी से हर वर्ष बसंत पंचमी के दिन भगवान शालिग्राम जी को हर्षोल्लास के साथ मायाकुंड में पवित्र स्नान के लिए ले जाया जाता है. इस मंदिर में अक्षय तृतीया के दिन 108 परिक्रमा करने वालों को श्री बद्रीनाथ भगवान के दर्शनों के समान ही पुण्य मिलता है.
#मंदिर

Hindi Religious by harish bhatt : 111566753

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