ये जो 'हद' है ना.. ये अगर जज़्बातों में बढ़ जाए तो आँखों में उतर जाती है, मगर ऐसी हद महसूस नहीं होती।
हाँ, इसे समझना मैं आसान कर देती हूँ..
नफ़रत हो या मोहब्बत, अगर हद पार कर जाए तो दिल से आँखों में उतरने लगती है।
गुस्सा और दर्द का भी फ़साना ऐसा ही है.. यह जब हद से गुज़र जाएं तो आँखों में उतरते हैं।
कभी यह जज़्बात अंगारे बनते हैं, तो कभी आँसू।
मैंने पहले भी कहा है फ़ीकी मुस्कुराहट और भरी हुई आँखें बेहद ख़ूबसूरत होती हैं।
मगर इस तरह से अपने जज़्बातों को काबू में कर लेने वाला शख़्स ख़तरनाक होता है, बेहद ख़तरनाक।

मत जाना कभी तुम मुस्कुराहट पर,
बारिश के बाद की भीगी हुई जमीं है।
जिसको बेवज़ह हँसते हुए देखते हो,
उसकी आँखों में कैद आँसू की नमी है।।
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Hindi Blog by Roopanjali singh parmar : 111565414

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