वक्त के थपेड़े कभी सिखाना नहीं छोड़ते।
कुछ बुरे साए कभी पीछा नहीं छोड़ते।
समय पटल चलता रहता है अपनी गति से,
बस कुछ मंजरों के शूल कभी चुभना नहीं छोड़ते।।
















स्वाति सिंह साहिबा

Hindi Shayri by Swati Solanki Shahiba : 111565244

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