#ગુપ્ત

ऐ जिंदगी...
बार बार तुजसे थक जाती हूं मैं,
बार बार चलते रुक जाती हूं मैं!

हर दिन मनमैं उठते सवाल का जवाब ढूंढती रहती हूं मैं,
जवाब तो रह जाता है गुप्त और हर दिन आते नये सवालो
का जवाब ढूंढने लग जाती हूँ मैं !

हर रोज तुजसे कुछ ना कुछ सीखती हूं मैं,
खुद को पत्थर दिल बनाके आगे बढ़ती हूं मैं... !

Hindi Thought by Dhara Vipul Patel : 111564881

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