ना रिश्तें बदल पाया, ना उनके एहसास, तो चलो, आज खुद मे थोडा सा बदलाव करके देखता हूँ, एक नया लक्षण आज, में खुद मे बना कर देखता हूँ, जो चिज़ नापसंद हे, उसे थोडा सा अनदेखा करना सीखता हूँ, वक़्त के साथ चल ने की कोशिश नाकाम रही तो क्या, कुछ चिज़े आज वक़्त पे छोड़ना सीखता हूँ, "वो क्या बोलेंगे?" "क्या सोचेंगे?" सोच_सोच कर यार अब थक गया हूँ, तो चलो, आज इन सारी बातों पर सिर्फ मुस्कुराना सीखता हूँ, एक ही तो हे यार ये ज़िंदगी, तो सोचता हूँ, की सारी रंजिशें भुला, फिर एक बार ज़िंदगी जीना सीखता हूँ।

#लक्षण

Hindi Poem by Baatein Kuch Ankahee si : 111564126

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