-विश्वसनीय-

नन्हा सा वह बालक जब ऊपर मॉं ने उछाला,
खिलखिला-खिलखिला कर ज़ोरों से हंस दिया ;
विश्वास पूरा कर लिया ,विश्वास पूरा कर लिया ।


शिक्षा पहली लेने जब पाठशाला गया वह बालक,
शिक्षक ने जो पाठ्यक्रम बताया और पढ़ाया;
विश्वास पूरा कर लिया.विश्वास पूरा कर लिया ।


मॉं ने जो भोजन बनाया और बालक को खिलाया,
ना ,नहीं करके भी उसने भोजन पूरा कर लिया;
विश्वास पूरा कर लिया,विश्वास पूरा कर लिया ।


बड़े होकर कक्षा में अध्यापक ने जो पाठ पढ़ाया,
मन लगा कर पढ़ लिया और याद पूरा कर लिया;
विश्वास पूरा कर लिया,विश्वास पूरा कर लिया ।


जब कार्य स्थल पर गया सब कार्य पूरा कर लिया ,
जो कार्य उसको मिल गया मन से पूरा कर दिया;
फिर आँखों का तारा हो गया विश्वसनीय हो गया।।

#विश्वसनीय

Hindi Poem by Asha Saraswat : 111562457

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