अंधेरों का बोझ कंधो पर उठाकर
पड़ते है कुछ लोग उजालों की तलाश में,
जैसे ही दिखती है रौशनी की किरण दूर से
कंधे से उतार फैंकते है अंधेरो को भड़ास में..
उतरते ही हंसने लगते है अँधेरे उन पर,
कहते है तूने देखी वो रौशनी रहती है हमारे ही दराज़ में..
~अद्वैत

Hindi Shayri by Himanshu Patel : 111562120

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