स्वरचित
पहली कविता कक्षा पाँचवीं में लिखी थी
और फिर क्लास टीचर को दिखाई थी
पसंद आयी उनको शाबाशी भी मिली थी
अगले दिन प्रार्थना समय पर बोलने को कही थी।।
अगले दिन स्टेज पे इस शब्द की शुरुआत हुई थी
टीचर ने बोला स्वरचित है कविता स्टेज पर कहना
हमने भी वैसा ही किया !स्वरचित कह कविता पढ़ दिया
इसका मतलब क्या है! ये सवाल वैसा ही रह गया।।
हमको लगा स्वरचित किसी लेखक का नाम है
इसलिए थोड़ा मायूस था कि इसे तो मैंने लिखा है
जब टीचर ने इस शब्द का मतलब समझाया
दिल मे सम्मान और आँखों में गर्व छा गया था।।
आज भी ये शब्द नया सा दिल के करीब लगता है
शब्दों में कैसे बयाँ करूँ नहीं समझ मे आता है
आज भी जब शब्द स्वरचित ज़ुबाँ से निकलता है
वो एहसासों का समंदर न जाने क्यों बहने लगता है।।
©Satender_Tiwari_Brokenwords
【Instagram/Itsme_Stb】