काले घने बादलों में कहीं दूर एक तारा चमकते देखा है...
नदियों के किनारों में अक्सर पानी छलकते देखा है,
कोशिश करके कोई भी मंज़िल हासिल कर सकता है....के...कोशिश करके कोई भी मंज़िल हासिल कर सकता है,
बिना मेहनत वालों को मैंने अक्सर तड़पते देखा है।
धूप में अपनी माँ को मैने हमेशा जलते देखा है...
और...
असली मेहनत क्या होती है ये मैने अपनी माँ से ही सीखा है,,,,अपनी माँ से ही सीखा है।।
ज़रूरी नही इंसान बिना ठोकर कुछ सीख नही सकता...मैंने बचपन मे भी बोहत लोगो को बड़े होते देखा है...
ये तो ज़िम्मेदारियाँ ही होती है जो ज़िन्दगी में।सबकुछ सीखा देती है,वरना बोहत लोगो को बड़े होकर भी बचपना करते देखा है।।।
कभी खुद को अकेला महसूस किया तो कभी सबके बीच देखा है,
अक्सर अपने अपने घरों मे मैंने लोगों को झगड़ते देखा है,लोगो को झगड़ते देखा है।।।

-heena Khan

Hindi Poem by heena Khan : 111560407

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