मुझे गर्व की अनुमति होती है जब स्वयम् को "एक" का हेतु समझ आया,
यह "एक" कोई सामान्य "एक" नहीं है यह है,,,,,
एक यानी "भीष्म"
एक यानी "कर्ण"
एक यानी "युद्ध विजयी"
एक यानी क्रुपाचार्य और अश्वत्थामा
और
एक यानी विकीर्ण सोमदत जी के पुत्र....
इन सभी तेजस्वी महापुरुष की कहानी सुनोगे तो "एक" का तात्पर्य समझ आएँगा...
-भागवत् गीता