क्यूँ ये सफ़र जिंदगी का ,
कहीं थमता नहीं ,
क्योंकि भार अब जिंदगी का ,
सहा जाता नहीं ।
कोई मंजर रास्तों के ,
अब लुभाते नहीं ,
पर मंजिल का भी ,
कोई निशां दिखता नहीं ।।

#भार

Hindi Poem by Shobhna Goyal : 111555098

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