रूह
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दिल का एक हिस्सा
मन्नत के धागों से बंधा
रूहो का होता है...
सुनते है वहाँ कोई
बहुत दिल से जुङा रहता है...
दिखता नहीं वो कोना
ना ही वो रूह नजर आती है..
तभी तो ऐसे
रिश्तों को समझ पाना भी
आसां कहाँ होता है...
खामोश रूहें
वहीं सकूंन से गले मिला करती हैं..
कहने को तो कुछ नहीं
पर महसूस करने को
बहुत कुछ हुआ करता है..
दिल के उसी कोने मे --
रूहों का
आरामगाह हुआ करता है...
                प्रगति गुप्ता

Hindi Poem by Pragati Gupta : 111553729
वात्सल्य 9 months ago

पहले आपको अभिनन्दन ये बूक के लिए मुझे कविता की किताब छपानी है क्या आप मुझे मार्गदर्शन कर सकते हो?

Rama Sharma Manavi 3 years ago

आपका लेखन मन में उतर जाता है।

Pranava Bharti 4 years ago

बहुत खूब,बहुत बधाई

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