कुछ चटखा ,कुछ टूटा फिरसे
तिनका तिनका बिखरा फिरसे
रात दिन की कलह में झुलसे
जीवन का हर लम्हा कैसे
कैसे बताऊँ क्या हुआ अमंगल
मन का दामन ख़ुशी को तरसे !
#अमंगल

Hindi Poem by Mukteshwar Prasad Singh : 111553720

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