प्रिय में घुलता जाता,
अस्तित्व.
ऐसा सघन प्रेम.
रहा आसक्ति रहित।
सम्पूर्ण समर्पण,
आराध्य को,
ऐसी अप्रतिम भक्ति,
वरदान की इच्छा रहित।
मुरली धुन से ध्यान,
साधना प्रबल,
निष्काम कर्म सी।

#राधिका #योगिनी
#शुभ_राधाष्टमी

Hindi Poem by Meenakshi Dikshit : 111552131

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