अप्रचलित
निरक्षर हो कर भी जो लोग
करते थे पालन ईमानदारी का
सत्य अहिंसा अस्तेय का
जिनके ह्रदय बसता था प्रेमभाव राधा माधव का
उत्तम कोटि का आचरण
जिनके चरण रज पखारता था
जिनके रग - रग में था लहू लाल
मातृभूमि पर मर मिटने का
अप्रचलित हो गए हो वो
जिन पर ईश्वर अल्लाह गॉड या
गुरु साहिब का था विश्वास अटूट
कभी जो बन गए थे ईश्वर सरीखे
वो भी अप्रचलित हो गए हैं अब
इस पढ़ी-लिखी दुनिया में
उनकी कीमत नहीं है कुछ भी
प्रचलित सिक्के की तरह
-शिव सागर शाह'घायल'
#अप्रचलित