बेख़बर इश्कसे, खौफ़में डूबे रहे थे हम,
बेअसर जिन्दगीके हर्फ़को चुनते रहे थे;
नजरअंदाज कर इश्क, यूँ उलझे हुए थे,
कर दीदार तुझमें, 'इश्क'में सुलझे है हम!

~|~ केतन व्यास (संकेत)
#बेख़बर

Hindi Shayri by Ketan Vyas : 111551465

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