माथे मोर पंख, हाथों में लीए है बंसी
पलभर में दिल चुरा ले ऐसी है हंसी

#आला है रुप, रंग है जीसका निराला
कोई उसे कान्हा कहे,कोई मुरलीवाला

गोपीओ संग वृंदावन में रास रचाता,
ग्वालों को लेकर माखन चोरने वाला

कृष्ण तेरे रुप अनेक हर रुप है निराला
लीला करने वाले तेरी हर लीला है #आला

#आला

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111550537

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