बीमारी, हांँ मुझे है बीमारी ,
एक नहीं , मुझे कई हैं बीमारी ।

मेरी बीमारियों का आप,
वैसे इलाज तो नहीं कर पायेंगे ।
मगर हम फ़िर भी आपको,
इनके बारे में ज़रूर बतायेंगे ।

हाँ मुझे अपने विचारों को ,
व्यक्त करने की है बीमारी ।
सही को सही और गलत को गलत,
कहने की है बीमारी ।

कितने भले लोगों ने मुझे,
मेरा भला बताया ।
हम तो आपके भले
के लिए कह रहे हैं ,
ये जुमला हमपर चिपकाया ।
फ़िर भी नहीं हो पाया हमारा ,
इलाज, ये अभी भी है जारी ।

किसी की चापलूसी करके आगे बढ़ नहीं सकते
किसी की काट जड़ें , हम फल नहीं सकते
यही कुछ दोष रखते हैं ,हम ईमानदारी के ,
इसे कहिये हमारा फ़ख्र या हमारी लाचारी ।

बीमारी, हांँ मुझे है बीमारी ,
एक नहीं , मुझे कई हैं बीमारी ।

निशा शर्मा...

Hindi Poem by निशा शर्मा : 111549771

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