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इक रूह मेरे बिछौने पर बैठी। बड़ी ही हसरत निगाहों से मुझे ताकती है, मेरे सोते हुए बदन में शायद ,वो मेरी रूह को झां
इक रूह मेरे बिछौने पर बैठी। बड़ी ही हसरत निगाहों से मुझे ताकती है, मेरे सोते हुए बदन में शायद ,वो मेरी रूह को झांकती है। देर रात मेरे साथ छावनी डाले बैठी रहती है, सूरज के उफ़ुक़ के ऊपर आने से पहले, कहीं अलविदा हो लेती है। वो रातों में दबे पाओं आती है, और फिर पूरे दिन कहीं गुमशुदा रहती है। इक रात तारों के संग कुछ गुफ्तगू हो रही थी, वो तमाम में थे,और मेरी बातें भी थी कईं। मै उनको हसाता था, वो मुझको हसातें थे, मैं उनको कुछ रंज सुनाता था, वो संग मुझको भी रुलाते थे। बड़े ही सहल व्यहवार के थे , वो तारे जो तमाम पार थे। तभी उनमें से एक कोई बताता है, की हर रात उनके झुण्ड का एक तारा मेरे कमरे में, मुझे देखने आता है। मुझे सुकून से सोता देख एक राहत की सांस लेता है, और मेरे जागने से पहले वापस आ जाता है। मै रोज सोचता था की तुम मुझे छोड़ कर कयौं चले गए, पर तुम भी मेरे बगैर, यूं अकेले रह न सके । #hindipoem #fiction #romance #poetry #poem #Kavyotsav2
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